CBT क्या है ?
CBT → Computer based test अर्थात 'कंप्यूटर आधारित परीक्षा' ! इसमें कागज-कलम का उपयोग नहीं होता है। पूरी परीक्षा ऑनलाइन मोड में होती है। स्क्रीन पर प्रश्न और उसके वैकल्पिक उत्तर दीखते हैं। प्रश्न को पढ़कर सही उत्तर विकल्प पर माउस की सहायता से कर्सर को ले जाकर माउस का लेफ्ट बटन क्लिक करना होता है। इसके बाद नीचे दिए गए 'NEXT QUESTION'' बटन को क्लिक करना होता है जिससे उस उत्तर को सेव कर लिया जाता है और अगला प्रश्न स्क्रीन पर प्रदर्शित होने लगता है।इसी प्रकार नीचे 'PREVIOUS QUESTION' बटन भी होता है। इसका उपयोग पीछे छोड़े गए किसी प्रश्न तक पहुँचने के लिए कर सकते हैं।किन्तु हड़बड़ी में NEXT या PREVIOUS बटन पर डबल या मल्टीपल क्लिक न करें। इससे स्क्रीन फ्रीज हो जायेगा और परीक्षा फिर से चालू करनी होगी। पहले से किये गए कार्य विलोपित हो जायेंगे।
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CBT के फायदे :
रिजल्ट तैयार करने में बहुत कम समय लगता है। इसलिए जल्द ही रिजल्ट निकल जाता है।
हम जानते हैं कि कागज बनाने के लिए वृक्षों को काटा जाता है। इससे पर्यावरण को क्षति पहुँचती है। ऑनलाइन परीक्षा से कागज बचता है अर्थात पेड़ बचते हैं। इसलिए CBT एक SUSTAINABLE विकल्प है।
चीटिंग के चांस बहुत कम होते हैं बशर्ते परीक्षा केंद्र मैनेज्ड न हों।
सावधानियां :
तारों /केबल्स को छूने से बचें। इनके हिलने से सिस्टम बंद हो सकता है।
लॉगिन करते समय या कभी भी कोई तकनीकी समस्या आये तो तुरंत अपने निरीक्षक से कहें।
सभी परीक्षा कक्षों में कैमरा लगे रहते हैं जिनसे लाइव निगरानी की जाती है। इसलिए बातचीत न करें और कोई भी ऐसा काम न करें जिसे कदाचार की श्रेणी में रखा जा सके।
कोई निजी सामान न ले जाएं। केवल एडमिट कार्ड,मूल पहचान पत्र और यदि माँगा गया हो तो एक पासपोर्ट साइज फोटो ले जाएँ।
गलती से भी निम्न को परीक्षा कक्ष में न ले जाएँ : मोबाइल फोन ,माइक्रोफोन ,घड़ी ,हेडफोन ,ईयरपीस ,ब्लूटूथ ,कैलकुलेटर ,लॉग टेबल ,पेन ,प्लेन पेपर ,डिजिटल डायरी ,किताबें ,फ़ूड आइटम।
सरकारी नौकरियों के लिए कंप्यूटर आधारित परीक्षण सिस्टम में कुछ नुकसान हो सकते हैं। ये नुकसान निम्नलिखित
हो सकते हैं:
1. तकनीकी समस्याएँ: कंप्यूटर आधारित परीक्षण में तकनीकी गड़बड़ी होने की संभावना होती है, जैसे कि कंप्यूटर
क्रैश या सॉफ़्टवेयर गड़बड़ी, जो परीक्षार्थियों को परेशान कर सकती है।
2. सामग्री की सुधारणा: पेपर-पेन के प्रणाली की तुलना में, कंप्यूटर आधारित परीक्षण में सामग्री को संशोधित करना
और अपडेट करना अधिक जटिल हो सकता है ।
3. तकनीकी अज्ञान: कुछ उम्मीदवारों के पास कंप्यूटर या डिजिटल प्रौद्योगिकी का अनुभव नहीं हो सकता, जिससे
उन्हें परीक्षण के दौरान संदेह या असुविधा हो सकती है।
4. परीक्षण के प्रश्न प्रकार: कंप्यूटर आधारित परीक्षण में विभिन्न प्रकार के प्रश्न पूछे जा सकते हैं, जिससे कुछ
उम्मीदवारों को परीक्षण की प्रक्रिया समझने में मुश्किल हो सकती है।
5. प्रदर्शन की अस्थिरता: कंप्यूटर परीक्षण में उम्मीदवारों के प्रदर्शन की अस्थिरता हो सकती है, क्योंकि प्रत्येक व्यक्ति के प्रदर्शन का आधार उनके कंप्यूटर का क्षमताओं, तकनीकी ज्ञान और उपकरणों पर निर्भर करेगा।
6. गैर-संयुक्त परीक्षा पैटर्न: कंप्यूटर-आधारित परीक्षा में उम्मीदवारों को अलग-अलग पैटर्न के साथ अनजाने प्रश्नों का सामना करना पड़ सकता है, जिससे परीक्षार्थियों को परीक्षा के लिए तैयारी करने में कठिनाई हो सकती है। 7. अधिक लागत: कंप्यूटर-आधारित परीक्षण के लिए विशेष तकनीकी संरचना, सॉफ्टवेयर और हार्डवेयर की आवश्यकता होती है, जिससे परीक्षा का आयोजन करने की लागत बढ़ सकती है। 8. आराम: कुछ उम्मीदवारों को पेन और पेपर की परीक्षा के तुलना में कंप्यूटर-आधारित परीक्षण में समय सीमा के दौरान आराम की कमी महसूस हो सकती है। Normalization: कंप्यूटर-आधारित परीक्षण में सामान्यीकरण एक सांख्यिकीय प्रक्रिया को संदर्भित करता है जिसका उपयोग विभिन्न परीक्षण रूपों या प्रशासनों में स्कोर की निष्पक्षता और तुलनीयता सुनिश्चित करने के लिए किया जाता है। इसका उद्देश्य विभिन्न परीक्षण संस्करणों के कठिनाई स्तर या विशेषताओं में किसी भी भिन्नता को ध्यान में रखना है ताकि स्कोर उनके द्वारा लिए गए परीक्षण के विशिष्ट संस्करण के बजाय परीक्षार्थियों की क्षमताओं को सटीक रूप से प्रतिबिंबित कर सकें।सामान्यीकरण की प्रक्रिया में परीक्षण के विभिन्न संस्करणों पर परीक्षार्थियों के प्रदर्शन का विश्लेषण करना और तदनुसार कच्चे स्कोर को समायोजित करना शामिल है। इस समायोजन में स्कोर को स्केल करना, उन्हें एक सामान्य पैमाने पर बराबर करना, या परीक्षण कठिनाई में भिन्नताओं को ध्यान में रखते हुए सांख्यिकीय तकनीकों को लागू करना शामिल हो सकता है।बड़े पैमाने पर मानकीकृत परीक्षणों में सामान्यीकरण विशेष रूप से महत्वपूर्ण है, जैसे कि कॉलेज प्रवेश परीक्षा या प्रमाणन परीक्षा, जहां परीक्षण के कई संस्करण परीक्षार्थियों के विभिन्न समूहों को प्रशासित किए जाते हैं। स्कोर को सामान्य करके, परीक्षण प्रशासक यह सुनिश्चित कर सकते हैं कि सभी परीक्षार्थियों का निष्पक्ष मूल्यांकन किया जाए, भले ही उन्होंने परीक्षा का कौन सा संस्करण लिया हो।
Normalization के कुछ नुकसान निम्नलिखित हो सकते हैं:
1. पूर्णता की कमी: साधारणीकरण का प्रयास, प्रत्येक परीक्षण प्रपत्र के अनुरूप स्तर की न्यूनतम
गुणवत्ता को समान बनाने के लिए किया जाता है, लेकिन कई बार इस प्रक्रिया में कुछ संभावित त्रुटियाँ हो सकती हैं जो अच्छी गुणवत्ता और पूर्णता की कमी का कारण बनती हैं।
2. प्रशासनिक जटिलता: साधारणीकरण प्रक्रिया अक्सर प्रशासनिक जटिलता को बढ़ा सकती है,
क्योंकि इसमें अनेक चरण होते हैं, जिन्हें संचालन करना मुश्किल हो सकता है।
3. प्रारंभिक लागत: साधारणीकरण की प्रक्रिया को अंगीकृत करने के लिए अधिक संसाधनों की
आवश्यकता होती है, जो प्रारंभिक लागत को बढ़ा सकती है।
4. प्रतिस्पर्धा का प्रभाव: नार्मलाइजेशन अक्सर प्रतिस्पर्धा को कम कर सकता है, क्योंकि इससे
प्रदर्शन के विभिन्न स्तरों को समान करने की कोशिश की जाती है, जिससे उत्तीर्ण उम्मीदवारों के बीच वास्तविक अंतर कम हो सकता है।
5. प्रदर्शन की गलत समझ: नार्मलाइजेशन का प्रयोग करने से परीक्षार्थियों के प्रदर्शन को गलत
समझा जा सकता है, क्योंकि यह उनकी वास्तविक क्षमताओं को अदृश्य कर सकता है और प्रतियोगिता में निष्पादन को असंगठित बना सकता है। 6. तकनीकी गड़बड़ी: नार्मलाइजेशन की गलतियों के कारण तकनीकी गड़बड़ी का खतरा हो सकता है, जो परीक्षा प्रणाली की विश्वासनीयता पर असर डाल सकता है।
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