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अप्रैल, 2024 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

बच्चों में संवेगात्मक विकास :John Bowlby theory

  Q. बच्चों में संवेगात्मक विकास के संदर्भ में जॉन बाल्बी का सिद्धांत क्या है ? Ans. जॉन बाल्बी (John Bowlby) एक प्रमुख ब्रिटिश प्रारंभिक बाल विकास अध्येता थे जिन्होंने 'आसक्ति सिद्धांत' (Attachment Theory) को विकसित किया। यह सिद्धांत बच्चों के संवेगात्मक विकास के संदर्भ में महत्वपूर्ण है। आसक्ति सिद्धांत के अनुसार, बच्चे अपने प्राथमिक देखभालक (अक्सर माता-पिता) के साथ गहरे आसक्ति की आवश्यकता महसूस करते हैं। इस संवेगात्मक आसक्ति के तत्व बच्चे के विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। बाल्बी के सिद्धांत के अनुसार, इस आसक्ति का निर्माण चार मुख्य प्रक्रियाओं के माध्यम से होता है: आसक्ति के बोंडिंग (Attachment Bonding): बच्चे एक स्थिर, नियमित और आस्तिक रिश्ता बनाते हैं अपने प्राथमिक देखभालक के साथ। यह रिश्ता सुरक्षित और आत्मविश्वास के भावनात्मक माध्यम के रूप में काम करता है। आसक्ति के स्थिरीकरण (Attachment Consolidation): इसमें बच्चे अपने प्राथमिक देखभालक के साथ आसक्ति को अधिक स्थिर बनाने के लिए नवीनतम अनुभवों का आधार बनाते हैं। आसक्ति की प्रतिरक्षा (Attachment Resistance): बाल्बी ...

सीखने का अंतर्दृष्टि सिद्धांत : वोल्फगैंग कोहलर

  सीखने का अंतर्दृष्टि सिद्धांत क्या है ?इसके प्रवर्तक कौन हैं ? अंतर्दृष्टि सिद्धांत मनोविज्ञान का एक सिद्धांत है जो सीखने की प्रक्रिया को समझाने का प्रयास करता है। यह सिद्धांत मानता है कि सीखना अचानक और सहज होता है, और यह अनुभव और तर्क के माध्यम से होता है। अंतर्दृष्टि सिद्धांत के मुख्य बिंदु: अंतर्दृष्टि: यह सीखने का एक अचानक और सहज तरीका है। समझ: यह सीखने का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। अनुभव: यह सीखने के लिए आवश्यक है। तर्क: यह सीखने के लिए आवश्यक है। अंतर्दृष्टि सिद्धांत के प्रवर्तक: वोल्फगैंग कोहलर: जर्मन मनोवैज्ञानिक, जिन्होंने 1920 के दशक में इस सिद्धांत को विकसित किया था। कोर्ट कोफ्का: जर्मन मनोवैज्ञानिक, जिन्होंने कोहलर के साथ काम किया था। कार्ल डंकन: अमेरिकी मनोवैज्ञानिक, जिन्होंने इस सिद्धांत को आगे विकसित किया। उदाहरण: एक बंदर एक पहेली को हल करता है: एक बंदर को एक केले तक पहुंचने के लिए एक पहेली को हल करने के लिए रखा गया है। वह कई बार असफल प्रयास करता है, लेकिन फिर अचानक, उसे पता चलता है कि पहेली को कैसे हल किया जाए। वह पहेली को जल्दी से हल करता है और केले तक पहुंच...

हावर्ड गार्डनर का बहुबुद्धि सिद्धांत

  हावर्ड गार्डनर का बुद्धि का सिद्धांत, जिसे "बहु बुद्धि सिद्धांत" भी कहा जाता है, यह मानता है कि बुद्धि एक एकल, मापने योग्य इकाई नहीं है, बल्कि यह कई अलग-अलग क्षमताओं का समूह है। इनमें से कोई बुद्धि किसी कारणवश क्षतिग्रस्त हो भी जाय तो उसका प्रभाव दूसरी बुद्धि पर नहीं पड़ता है। गार्डनर ने 10 प्रकार की बुद्धि की पहचान की है, जिनमें से प्रथम सात का प्रतिपादन 1983 ई० में किया और 90 के दशक में शोध कर तीन नई प्रकार की बुद्धियों की खोज की : भाषाई बुद्धि: भाषा को समझने, सीखने और उपयोग करने की क्षमता। तार्किक-गणितीय बुद्धि: तर्क, समस्या-समाधान और गणितीय अवधारणाओं को समझने की क्षमता। स्थानिक बुद्धि: वस्तुओं को देखने, समझने और उनमें हेरफेर करने की क्षमता। शारीरिक-गतिशील बुद्धि: शरीर को नियंत्रित करने और समन्वय करने की क्षमता। संगीत बुद्धि: संगीत को सुनने, समझने और बनाने की क्षमता। अंतःवैयक्तिक बुद्धि: दूसरों की भावनाओं को समझने और उनसे संबंध बनाने की क्षमता। अंतर्निहित बुद्धि: अपनी भावनाओं और विचारों को समझने की क्षमता। प्राकृतिक बुद्धि: प्रकृति को समझने और उससे जुड़ने की क्ष...

कोहलबर्ग का नैतिक विकास सिद्धांत

  कोहलबर्ग का नैतिक विकास सिद्धांत: एक गहन विश्लेषण लॉरेंस कोहलबर्ग (1927-1987) एक अमेरिकी मनोवैज्ञानिक थे जिन्होंने नैतिक विकास के सिद्धांत को विकसित किया। यह सिद्धांत आज भी नैतिकता और नैतिक शिक्षा के क्षेत्र में सबसे प्रभावशाली सिद्धांतों में से एक है। सिद्धांत की मुख्य विशेषताएं: नैतिक विकास तीन स्तरों में होता है: पूर्व-पारंपरिक स्तर (4-10 वर्ष): इस स्तर पर, बच्चे नैतिकता को बाहरी नियमों और पुरस्कारों और दंडों के आधार पर समझते हैं। पारंपरिक स्तर (10-13 वर्ष): इस स्तर पर, नैतिकता को सामाजिक मानदंडों और नियमों के आधार पर समझा जाता है। उत्तर-पारंपरिक स्तर (13 वर्ष और उसके बाद): इस स्तर पर, नैतिकता को व्यक्तिगत सिद्धांतों और मूल्यों के आधार पर समझा जाता है। प्रत्येक स्तर में दो चरण होते हैं: प्रथम चरण: यह चरण सरल और आत्म-केंद्रित होता है। द्वितीय चरण: यह चरण अधिक जटिल और सामाजिक रूप से केंद्रित होता है। नैतिक तर्क महत्वपूर्ण है: कोहलबर्ग का मानना ​​था कि नैतिक विकास में नैतिक तर्क महत्वपूर्ण है। उन्होंने लोगों को नैतिक दुविधाओं के बारे में साक्षात्कार करके और उनके तर्कों का ...